पूंजीवाद (Capitalism) सामन्यत: उस आर्थिक प्रणाली या तंत्र को कहते हैं जिसमें उत्पादन के साधन पर निजी स्वामित्व होता है। सीधे तौर पर कहा जा सकता है कि सरकारी प्रणाली के अतिरिक्त निजी तौर पर स्वामित्व वाले किसी भी आर्थिक तंत्र को पूंजीवादी तंत्र के नाम से जाना जा सकता है। दूसरे रूप में ये कहा जा सकता है कि पूंजीवादी तंत्र लाभ के लिए चलाया जाता है, जिसमें निवेश, वितरण, आय उत्पादन मूल्य, बाजार मूल्य इत्यादि का निर्धारण खुले बाजार में होता है। यानी देश में होने वाला प्रत्येक कार्य निजी क्षेत्र (Private Sector) द्वारा किया जाता है। जैसे देश में कोई रेलवे चलानी है तो उसको कोई निजी कंपनी चलाएगी इसी कारण उसका मुख्य उद्देश्य केवल लाभ कमाना होगा इसमें कोई भी कार्य सामाजिक लाभ के लिए नही होता है प्रत्येक कार्य केवल निजी लाभ के लिए किया जाता है. और सरकार भी इसमें कोई हस्तक्षेप नही करती है।
पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाओं की मुख्य विशेषताएं:
- स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के कारण अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास होता है।
- इस अर्थव्यवस्था में उसी वस्तु का उत्पादन किया जाता है जिससे अधिक लाभ मिलता है।
- निजी क्षेत्र ही इसमें उत्पादन करता है।
- समाजिक कल्याण का इसमें अभाव होता है और उनके लिए कोई कार्य नही किया जाता है।
- एक Company दूसरी Company से Competition करती है जिससे उत्पादन की गुणवता अच्छी होती है।
- अधिक लाभ लेने के लिए नई वस्तुएं बाजार में लाई जाती है जिससे तकनीकी का विकास होता है।
- किसी प्रकार के सरकारी हस्तक्षेप न होने के कारण देश में लोगों की आय में असमानता देखने को मिलती है जिससे कई लोगों बहुत अधिक धनी हो जाते है तो कई बहुत अधिक निर्धन हो जाते है।
- किसी भी वस्तु का मूल्य केवल बाजार में तय होता है सरकार का उस पर कोई रोक टोक नही होता है।
एक टिप्पणी भेजें