पाषाण युग क्या है?
पाषाण युग इतिहास का वह काल है जब मानव का जीवन पत्थरों पर अत्यधिक आश्रित था। उस समय लोग पत्थरों से शिकार करना, पत्थरों की गुफाओं में शरण लेना, पत्थरों से आग पैदा करना इत्यादि।
इसके तीन चरण माने जाते हैं,
1. पुरापाषाण काल,
2. मध्यपाषाण काल एवं
3. नवपाषाण काल जो मानव इतिहास के आरम्भ (25 लाख साल पूर्व) से लेकर काँस्य युग तक फैला हुआ है।
पुरापाषाण काल (Paleolithic Era) का इतिहास
25 लाख साल से 12000 साल पूर्व तक माना जाता है।
भारत में इसके अवशेष सोहन, बेलन तथा नर्मदा नदी घाटी में प्राप्त हुए हैं।
भोपाल के पास स्थित भीमबेटका नामक चित्रित गुफाएं, शैलाश्रय तथा अनेक कलाकृतियां प्राप्त हुई हैं।
औजार : हाथ से बने अथवा प्राकृतिक वस्तुओं का हथियार/औजार के रूप में उपयोग- भाला, कुल्हाड़ी, धनुष, तीर, सुई, गदा आदि
अर्थव्यवस्था : शिकार एवं खाद्य संग्रह
शरण स्थल : अस्थाई जीवन शैली - गुफा, अस्थाई झोपड़ीयां, मुख्यता नदी एवं झील के किनारे रहते थे
समाज : 25-100 लोगों का समूह (अधिकांशतः एक ही परिवार के सदस्य)
मध्यपाषाण काल (Mesolithic Era) का इतिहास
12000 साल से लेकर 10000 साल पूर्व तक। इस युग को माइक्रोलिथ (Microlith) अथवा लधुपाषाण युग भी कहा जाता हैं। इस काल में आग का आविष्कार हुआ था।
औजार : हाथ से बने अथवा प्राकृतिक वस्तुओं का हथियार/औजार के रूप में उपयोग- धनुष, तीर, मछली के शीकार एवं भंडारण के औजार, नौका आदि
अर्थव्यवस्था : शिकार एवं खाद्य संग्रह
शरण स्थल : अस्थाई जीवन शैली - गुफा, अस्थाई झोपड़ीयां, मुख्यता नदी एवं झील के किनारे रहते थे
समाज : कबिले एवं परिवार समूह
नवपाषाण काल (Neolithic Era) का इतिहास
नियोलिथिक युगमानव प्रौद्योगिकी के विकास की एक अवधि थी जिसकी शुरुआत मध्य पूर्व में 9500 ई.पू. के आसपास हुई थी, जिसे पारंपरिक रूप से पाषाण युग का अंतिम हिस्सा माना जाता है।
औजार : हाथ से बने अथवा प्राकृतिक वस्तुओं का हथियार/औजार के रूप में उपयोग - चिसल (लकड़ी एवं पत्थर छीलने के लिये), खेती में प्रयुक्त होने वाले औजार, मिट्टी के बरतन, हथियार आदि
अर्थव्यवस्था : खेती, शिकार एवं खाद्य संग्रह, मछली का शिकार और पशुपालन आदि
शरण स्थल : अस्थाई जीवन शैली - गुफा, अस्थाई झोपड़ीयां, मुख्यता नदी एवं झील के किनारे रहते थे
समाज : खेतों के आस पास बसी छोटी बस्तियों से लेकर काँस्य युग के नगरों तक
मध्य पुरापाषाण काल के आसपास मृत्यु पश्चात जीवन में विश्वास के साक्ष्य कब्र एवं अन्तिम संस्कार के रूप में मिलते है।
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