रजिया सुल्तान : (1236 - 1240 ई.)
- रज़िया का पूरा नाम रज़िया अल्-दीन सुल्तान जलालत उद-दीन रज़िया था।
- भारत की पहली मुस्लिम शासिका थी। इसने पर्दा त्याग दिया और जनता के सामने खुले आम मर्दाने वस्त्र पहनकर आने लगी
- रज़िया के शासन के साथ ही सम्राट और तुर्की सरदारों, जिन्हें चहलग़ानी (चालीस) कहा जाता है, के बीच संघर्ष प्रारम्भ हो गया।
- रजिया ने अपने सलाहकार जमात-उद-दिन-याकुत एक हब्सी को अश्वशालाध्यक्ष का ऊँचा पद दे दिया।
- भटिंडा के शासक अल्तूनिया ने 1240 ई. में विद्रोह कर दिया जिसमे तुर्क सरदारों ने साथ दिया और रजिया को बंदी बना लिया और याकुत को मार दिया
- इसके बाद दिल्ली में इस बीच मैज़ुद्दीन बेहराम शाह, ने सिंहासन हथिया लिया।
- रजिया ने अल्तूनिया से विवाह कर लिया और वह अपने पति के साथ दिल्ली की और बढ़ी लेकिन कैथल के निकट अल्तूनिया के समर्थकों ने साथ झोड़ दिया 1240 ई. को मुइज़ुद्दीन बहराम ने उसे पराजित कर दिया।
- इसके बाद कैथल के निकट ही दोनों की हत्या कर दी गई रजिया का मकबरा भी कैथल में ही है.
कब्र पर विवाद :
दिल्ली के तख्त पर राज करने वाली एकमात्र महिला शासक रजिया सुल्तान व उसके प्रेमी याकूत की कब्र का दावा तीन अलग अलग जगह पर किया जाता है। रजिया की मजार को लेकर इतिहासकार एक मत नहीं है। रजिया सुल्ताना की मजार पर दिल्ली, कैथल एवं टोंक अपना अपना दावा जताते आए हैं। लेकिन वास्तविक मजार पर अभी फैसला नहीं हो पाया है। वैसे रजिया की मजार के दावों में अब तक ये तीन दावे ही सबसे ज्यादा मजबूत हैं। इन सभी स्थानों पर स्थित मजारों पर अरबी फारसी में रजिया सुल्तान लिखे होने के संकेत तो मिले हैं लेकिन ठोस प्रमाण नहीं मिल सके हैं। राजस्थान के टोंक में रजिया सुल्तान और उसके इथियोपियाई दास याकूत की मजार के कुछ ठोस प्रमाण मिले हैं। यहां पुराने कबिस्तान के पास एक विशाल मजार मिली है जिसपर फारसी में ’सल्तने हिंद रजियाह’ उकेरा गया है। पास ही में एक छोटी मजार भी है जो याकूत की मजार हो सकती है। अपनी भव्यता और विशालता के आकार पर इसे सुल्ताना की मजार करार दिया गया है।
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