विश्वस्तरीय में नवपाषाण काल 9000 ई०पू० में शुरू हुआ लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप में नवपाषाण काल की एक ऐसी बस्ती मिली जिसका प्रारम्भ 7000 ई०पू० माना गया।
नवपाषाण युग की कुछ प्रमुख बातें:-
- इस युग के लोग स्थायी कृषक समुदाय के थे।
- कपास का उत्पादन होना प्रारम्भ हो गया था इससे हो सकता है बुनाई का कार्य भी होता होगा क्योंकि "उतनूरु“ से कपडा का भी साक्ष्य प्राप्त हुआ।
- नवपाषाण काल में मनुष्य कृषक और पशुपालक दोनों था.
- इस युग के मनुष्य ने कृषि कार्य के कारण एक स्थान पर स्थाई रूप से रहना शुरू कर दिया. कहीं-कहीं झोपड़ियों और घरों के अवशेष मिले हैं.
- बुर्जहोम में गड्ढे को घर बनाकर रहने के साक्ष्य मिले हैं. ऐसे घर को गर्तवास का नाम दिया गया
- इस काल में लोग जल, सूर्य, आकाश, पृथ्वी, गाय और सर्प की पूजा (worship) विशेष रूप से करते थे
- इस काल में बने मिट्टी के बरतन कई स्थलों से प्राप्त हुए हैं. इन बरतनों पर रंग लगाकर और चित्र बनाकर उन्हें आकर्षक बनाने का प्रयास करते थे
नवपाषाण काल में कृषि की शुरुआत हुयी और सर्वप्रथम जौ(रागी)की खेती की गयी। इसके प्रथम साक्ष्य "मेहरगढ़" से प्राप्त हुए।
नवपाषाण काल स्थान:
- चिरांद (बिहार में)
- उत्तर -पश्चिम में मेहरगढ़ (पाकिस्तान में)
- कोल्डिहवा और महागढ़ा (उत्तर प्रदेश में)
- गुफकराल और बुर्जहोम (कश्मीर में)
- हल्लूर और पैय्य्मपल्ली (आंध्र प्रदेश में) गेहूँ, जौ, चावल, ज्वार-बाजरा, दलहन, काला चना और हरा चना जैसी फसलें उगाने के प्रमाण मिले हैं
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