आर्थिक विकास और आर्थिक समृद्धि का प्रयोग कोई भी देश अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए या प्रगति के लिए करता है। इन दोनों का ही मकसद देश में लोगों की प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) तथा देश का सकल घरेलू उत्पादन(GDP) बढ़ाना होता है।
आर्थिक विकास (Economic Development): आर्थिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसके द्वारा किसी देश की प्रति व्यक्ति वास्तविक आय तथा उस देश के आर्थिक कल्याण में दीर्घकालीन वृद्धि होती है।
- आर्थिक विकास का अभिप्राय लोगों को निर्धनता, बेकारी और स्वास्थ्य में सुधार करना होता है, जिससे लोगों का जनकल्याण किया जा सके।
- आर्थिक विकास को ज्यादातर विकासशील या फिर गरीब देश अपनाते हैं क्योंकि इन देशों में ज्यादातर समस्या गरीबी और बेरोजगारी की होती है, इसलिए इन देशों को विकास करने के लिए इन समस्याओं से निपटना होता है, जिसके लिए आर्थिक विकास की प्रक्रिया को अपनाया जाता है।
आर्थिक संवृद्धि (Economic Growth): आर्थिक संवृद्धि एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसके अंदर देश में लोगों की प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) तथा उत्पादन में दीर्घकालीन वृद्धि होती है।
- इस प्रक्रिया को ज्यादातर अमीर देश अपनाते हैं जैसे कि अमेरिका, जापान या पश्चिम के यूरोपियन देश क्योंकि वहां पर गरीबी, बेरोजगारी इतनी बड़ी समस्या नहीं होती है, उनको बस अपने देश की सकल घरेलू उत्पादन (GDP) और लोगों की आय को बढ़ाना ही मकसद होता है।
आर्थिक विकास सैद्धांतिक समाधि की धारणा में अंतर।
1. आर्थिक विकास एक व्यापक धारणा होती है जबकि जो आर्थिक समृद्धि है वह एक संकुचित आर्थिक धारणा है, क्योंकि इसमें केवल उत्पादन में वृद्धि पर जोर दिया जाता है जबकि आर्थिक विकास में आर्थिक कल्याण भी ध्यान में रखा जाता है।
2. आर्थिक संवृद्धि लोगों के जीवन की गुणवत्ता की विचारधारा में हुए परिवर्तन के बिना भी हो सकती है, जबकि आर्थिक विकास का संबंध लोगों की विचारधारा से है इसलिए आर्थिक विकास लोगों के जीवन की गुणवत्ता के लिए विचारधारा में बिना परिवर्तन के नहीं हो सकता।
3. आर्थिक विकास के अंदर आय के वितरण को ध्यान में रखा जाता है क्योंकि इसे ज्यादातर गरीब देश इसको अपनाते हैं इसलिए उसमें इस बात को ध्यान में रखा जाता है कि लोगो की आय में ज्यादा असमानता ना नही ताकि अमीर गरीब की बड़ी समस्या ना हो। जबकि आर्थिक समृद्धि में आय के ऊपर कोई ध्यान नहीं दिया जाता इसलिए अगर इसमें आय वितरण असमान होने पर निर्धन व्यक्तियों की संख्या अधिक हो सकती है यानी इसको लोगों की आर्थिक समानता की कोई चिंता नहीं होती है।
4. आर्थिक विकास की धारणा में उत्पादन में वृद्धि दर के साथ में साथ आर्थिक कल्याण को भी ध्यान में रखा जाता है, जबकि आर्थिक समृद्धि में केवल प्रति व्यक्ति उत्पादन की दर को ही ध्यान में रखा जाता है।
5. आर्थिक विकास को अल्विपकसित देश अपनी प्रगति के लिए अपनाते हैं, जबकि आर्थिक समृद्धि को विकसित देश अपनी आर्थिक प्रगति के लिए अपनाते हैं।
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