कुछ लोग अपने बच्चों के साथ समुद्र के किनारे एक कबीले में रहते थे, उसमें एक छोटी लड़की भी थी, जिसका नाम मिनावी था। मिनावी दूसरे सभी बच्चों से थोड़ी अलग थी। उसे अक्सर दूसरे बच्चों के बीच झगड़ा कराने में बहुत मजा आता था और इस वजह से पूरी टोली परेशान हो जाती थी। लगभग रोज कबीले में लड़ाई हो जाती थी।
एक बार की बात है कि डूबते हुए सूरज की लाल-गुलाबी किरणें खेल के मैदान पर पड़ रही थीं, सारी लड़कियां खेल का आनंद उठा रही थीं। सारे लड़के अपने पिता के साथ, बड़े आदमियों वाले काम सीख रहे थ। माएं शाम का खाना बनाने की तैयारी कर रहीं थीं। कोयले की आग पर एक ताजा मछली, ताजें केकड़े और मसेल के साथ पक रही थी। टोली के सभी लोग खुश थे।
फसल उनके लिए अच्छी रही थी। खूब ताजा खाना उपलब्ध था। मिनावी के अलावा सब खुश थे। मिनावी सबसे अलग थी। बचपन से ही, मिनावी को दूसरी लड़कियों को परेशान करना अच्छा लगता था।
मिनावी का चेहरा इतना बदसूरत और कठोर था, कि उसे देखकर उसके मन की नफरत का अंदाजा लगाया जा सकता था। बुजुर्गों को पता था कि मिनावी सबको परेशान करने की कोशिश करती है, जिससे झगड़ा होता है, न केवल छोटी लड़कियों में, बल्कि उनकी मां-ओं में भी।
बुजुर्गों ने मिनावी की मां को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने मिनावी को गड़बड़ करने से नहीं रोका, तो उसके साथ कुछ भयानक घट जाएगा, पर मिनावी ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
साल बीतते गए, और मिनावी जवान हो गई। पर उसे तब भी झगड़ा कराना अच्छा लगता था। एक दिन सारी जवान लड़कियों को, मिनावी को भी, दुल्हन बनने के लिए तैयार होना था। मिनावी भी अन्य लड़कियों के साथ खड़ी हो गई।
बुजुर्गों ने बताया कि कौन-सा लड़का किससे शादी करेगा। समारोह के आखिर में, मिनावी अकेली खड़ी रह गई। किसी भी लड़के ने उसे शादी के लिए नहीं चुना। मिनावी के मन में नफरत और ज़्यादा बढ़ गई। उसने टोली में और भी ज्यादा गड़बड़ करनी शुरू कर दी। कबीले में रोज ही लड़ाइयां होने लगीं। मिनावी अपनी छोटी-सी झोपड़ी में बैठी रहती और देखा करती, आप ही खुश होती रहती।
बुजुर्गों ने तय किया कि मिनावी को अपने किए की सज़ा मिलनी चाहिए। मिनावी को कबीले के निर्णय के बारे में थोड़ा-बहुत पता था। जब वह औरतों के बीच एक और झगड़ा कराने जा रही थी, आदमियों ने उसे पकड़ लिया और जमीन में गिरा दिया उसे चारों ओर गोल-गोल घुमाया। वह किसी तरह भाग निकली और समुद्र के किनारे पहुंच गई जहां उसने बुरी आत्माओं से प्रार्थना की कि वे उसे एक क्रूर जानवर में बदल दें, जिससे वह अपने कबीले से बदला ले सके।
मिनावी एक बड़े मगरमच्छ में बदल गई और चुपचाप कीचड़ में घुस गई, व अपने शिकार का इंतजार करने लगी। कबीले के लोग धीरे-धीरे मिनावी को भूल गए और अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो गए।
एक दिन जब वे केकड़ों को ढूंढ़ने समुद्र के किनारे आए, मिनावी इंतजार में लेटी थी। एक आदमी जो मिनावी को सज़ा दिलाने में शामिल था, जब पानी में कूदा, तो मिनावी पीछे से रेंग कर आ गई और उसे दबोच लिया।
उसने आदमी से कहा कि वह उसे चारों ओर गोल-गोल घुमाएगी, उसने तब तक बार-बार, आदमी को पानी में घुमाया, जब तक उसे संतोष नहीं हो गया कि उसे काफी सज़ा मिल चुकी है तब से आज तक, मिनावी की आत्मा मगरमच्छ में समाई हुई है, और इसीलिए हर बार जब मगरमच्छ अपने शिकार को पकड़ता है तो हमेशा पानी में चारों तरफ गोल-गोल घुमाता है।
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