अर्थव्यवस्था के तीन प्रकार के क्षेत्र होते है।
प्राथमिक क्षेत्र (Primary sector):
इसमें प्राकृतिक संसाधनों का प्रत्यक्ष उपयोग किया जाता है इसमें कृषि, मत्स्य, खनन आदि आते है। भारत की आजादी के समय भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में इस क्षेत्र का लगभग 55% से ज्यादा हिस्सा था। जो कि हर साल कम होता गया और आज यह लगभग 17% भारतीय GDP का हिस्सा है। परन्तु यह आज भी भारत की 50% से ज्यादा लोगो को रोजगार प्रदान करता है, यह क्षेत्र कृषि से जुड़ा हुआ है इसलिए इसमें काम करने वाले लोगों की आय कम होती है।
द्वितीयक क्षेत्र (Secondary sector):
इस क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है। इसमें दो कार्य आते है
- निर्माण कार्य : इमारत, सड़क बनाना
- विनिर्माण कार्य : फैक्ट्री में तैयार समान
यह क्षेत्र भारत की GDP में 30% के आसपास योगदान देता है। और देश में 25% के आसपास लोगों को रोजगार देता है। इसमें काम करने वाले लोगों की आय प्राथमिक क्षेत्र वालो से तो ज्यादा होती है पर तृतीयक क्षेत्र वालों से कम होती है।
तृतीयक क्षेत्र (Tertiary sector):
यह क्षेत्र समाज को सेवाएं प्रदान करता है। इसमें दूरसंचार, बैंकिंग, मीडिया, स्वास्थ्य, मनोरंजन आदि आते है। इस क्षेत्र को सेवा क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। और किसी भी विकसित देश की GDP में इसकी ज्यादा हिस्सेदारी होती है और भारत की GDP में इसका हिस्सा 53% है। और 25% के आसपास लोगों को रोजगार देता है।
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