कार्ल मार्क्स ने विश्व अर्थव्यवस्था के विभिन्न चरण दिये है।
इसने विश्व अर्थव्यवस्था को तीन चरणों में विभक्त किया है- - वाणिज्यवाद (1500-1776)
- मुक्तव्यापार या औद्योगिक क्रांति (1776-1850)
- वितीय पूंजीवाद (1850- अब तक)
वाणिज्यवाद (1500-1776):
- भोगोलिक खोजो के फलस्वरूप इस चरण का उदय हुआ।
- इस चरण में अधिकाधिक निर्यात (Export) पर जोर दिया गया
- फलस्वरूप विश्व व्यापार ठप्प हो गया।
मुक्तव्यापार या औद्योगिक क्रांति (1776-1850):-
- इस समय मुक्त व्यपार को बढ़ावा दिया गया, एडम स्मिथ की विचारधार से प्रेरित होकर अर्थव्यवस्था पर से सभी प्रकार के प्रतिबन्ध हटा दिए गए और बाजार के अंदर 'माँग व पूर्ति का नियम' लागू हुआ।
- अधिक उत्पादन करने के लिए 'मशीनों का अविष्कार' हुआ जिससे औद्योगिक क्रांति का जन्म हुआ।
- दुनिया के देशों को उपनिवेश बनाकर उनका आर्थिक शोषण किया गया और विभिन्न देशों को
- उपनिवेश बनाने के लिए साम्राज्यवाद को बढ़ावा मिला।
वितीय पूंजीवाद (1850- अब तक):-
- इस चरण में इस बात पर ध्यान दिया गया कि किस तरह धन का प्रयोग करके अधिक से अधिक धन कमाया जा सके, और इस तरह बैंक, बीमा आदि जैसे नए-नए व्यवसाय सामने आए।
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